Wednesday, November 19, 2014

ख्वाब जो चिल्लाकर कहते हैं


कुछ ख़्वाब बुने है आ जायो
एक फूल तुम्हरा है
कुछ पानी कम है आ जायो

ख्वाब जो चिल्लाकर कहते हैं
ख्वाबों की ताबीर बनो
तुम गुनगुनाते रहो
आखों में नींद कम है आ जायो

ख्वाब में  घर भी है
एक झोर  पे हम है
एक झोर  पे तुम हो
आखों में नींद कम है आ जायो..............

Monday, September 29, 2014

आयते आसान सी लगी


ज़िंदगी कब उलझी
तुम्हारे 'मै" में
देखो आज
साँची के स्तूप
की आयते आसान सी लगी

जस्बातो के बहकावो में
कम्बख़त
ज़िंदगी कब उलझी
पता नहीं
अब तो रोज की उलझन
आसान सी लगने लगी

कब और कैसे मत भेद से
मन मुटाब का सफर होने लगा
कम्बख़त
देखो ज़िंदगी कितनी उलझी
अब उलझन भी
आसान सी लगने लगी   ॥।

.......... सफर  जारी  है ,,,रवि 

Saturday, August 16, 2014

अजनबी हो गए हम तुम

लम्हों  मे सिमट गये हम  तुम
सालो का हिसाब ,
चंद लम्हों मे बह गया
लम्हों  में एक कहानी खत्म हुयी
और
लम्हों मे अजनबी हो गए  हम  तुम ...................

ज़िंदगी तो कुछ थी ही नहीं
बस लम्हों की कहानी
कुछ तुम्हारे
कुछ मेरे
कुछ हम दोनों
लम्हों की बात रही
अहसास की बात रही
बस लम्हों को कहानी
लम्हों मैं  खत्म हुयी
और
लम्हों मे अजनबी हो गए  हम  तुम.…………

सफर जारी  है। …………………………

Tuesday, July 29, 2014

शायद तुम्हे पता नहीं

ऐसे तंज  ना करो 
जो दिखा रहे  हो
वो छोड़ के आये है.…


ये  कोई किस्मत का  खेल
या  हाथो की लकीरो का कमाल
नहीं
जो भी मिला है
रातो की मेहनत
दिन का पसीना
ना हारने की  जिद
टूट कर उठ जाने का माजदा    , …

शायद  तुम्हे पता नहीं
वो ना टूटने का  माजदा
और
टूटे हुये लम्हों मै
भी
ना टूटने जितने का माजदा ,

याद  रहे
जो दिखा रहे  हो
वो छोड़ के आये है.…


सफर जारी  है। .......... 

Thursday, June 12, 2014

चाँद का चाँद होना।


ये हौसले से हारे लोग
दाग ढूंढ़ते रहते है
ये  बेचारे क्या जाने
चाँद का चाँद होना
ये क्या जाने
दाग ही होना है
चाँद का चाँद होना। ……………

चंद झूठे लोग, झूठे से बोले
की चलो सच बोले
बे बजह शहर में अफवा फैली
की चंद झूठे लोग अपने आप से सच  बोले। ……………।

दो  चार पत्थर फेके
बेचारे क्या जाने
चाँद का चाँद होना
पत्थर भी  नकली निकले
चंद झूठे लोग, झूठे से बोले
चलो दाग ही सही
चाँद का चाँद होना।

सफर जारी है।



Saturday, March 29, 2014

ज़िंदगी के लिए नहीं


तू मिले या  ना मिले
कोई बात नहीं
हर पल
अहसास है
कि तू  साथ है

खयालो मै कभी
तो खुद ही ख्याल कभी
हर ख्याल में आती रहो
हर पल
अहसास है
कि तू  साथ है


ज़िंदगी के लिए नहीं
बस जीने के लिए
आत्मा के लिए
बस मिलते रहो
हर पल
अहसास है
कि तू  साथ है

अच्छा हुआ
तुम  मिले
ख्याल ही  सही
ये भी खूब रही कि
तुम मिले
हर पल
अहसास है
कि तू  साथ है

सफ़र  जारी  है। ………… 

Saturday, December 14, 2013

कहा कुछ भी नहीं .

क्या था वो मंजर पता नहीं
चाहता था  जी
सच बोलू
अपना था वो मेरा
सोच कर चुप  ही रहा
    कहा कुछ  भी  नहीं .………………।

चुप चाप जलती रही
सीने में दफ़न ख़ामोशी
कुछ दबी सी यादे
कुछ बाते , कुछ  शिकवे
बाते कि
देर तक
बस सुना
      कहा कुछ  भी  नहीं .………।

चाहता था जी
सच बोलू
"  जाने का फैसला तुम्हरा था
   मेरा नहीं
   अब आये हो
    थोडा सम्हालने तो दो
   अबके मेरा फैसला ………"
अपना था वो मेरा
सोच कर चुप  ही रहा
दिल खोल कर बाते कि 
दिल खोल कर सुना 
   पर कहा कुछ  भी  नहीं .………। 

सफ़र जारी है। ...................